गाजियाबाद, वेव सिटी।
किसान आंदोलन की तपिश अब सिर्फ सरकार को नहीं, किसानों की जान पर भी भारी पड़ने लगी है। किसान संघर्ष समिति के 80 वर्षीय वरिष्ठ किसान नेता सतीश त्यागी जी तपती धूप में धरने पर बैठे-बैठे अचानक बीमार हो गए। अत्यधिक गर्मी और लू के कारण उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिन्हें तुरंत सर्वोदय हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां वे अब ICU में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अनुज चौधरी ने बताया कि सरकार और प्रशासन एसी कमरों में चैन की नींद सो रहे हैं, लेकिन देश का अन्नदाता किसान आज सड़क पर तपती धूप में बैठने को मजबूर है। “अगर किसी भी किसान की तबीयत बिगड़ती है या कोई बड़ी दुर्घटना घटती है, तो इसका सीधा उत्तरदायित्व शासन और प्रशासन पर होगा,” उन्होंने तीखा सवाल उठाया।
धरना स्थल से सतीश त्यागी जी का हालचाल लेने गुड्डू मुखिया, गजेंद्र फौजी, प्रदीप चौधरी और अन्य किसान नेता सर्वोदय हॉस्पिटल पहुंचे। सभी ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और संकल्प लिया कि उनका संघर्ष व्यर्थ नहीं जाएगा।
टीकम नागर 'इकला', सामाजिक कार्यकर्ता, ने कहा –
बिल्डर की तानाशाही के खिलाफ ये संघर्ष आर-पार की लड़ाई है। सतीश जी हमारे पथप्रदर्शक हैं और जल्द स्वस्थ होकर फिर इस जनआंदोलन की अगुवाई करेंगे। इंकलाब जिंदाबाद, लड़ेंगे-जीतेंगे!”
इस घटना ने न सिर्फ आंदोलन को और अधिक गंभीर बना दिया है, बल्कि यह भी दर्शा दिया है कि सरकार की चुप्पी अब किसानों की जान पर बन आई है। 17 जून को धरने को 3 महीने पूरे हो जाएंगे। अगर तब तक किसानों की नहीं सुनी गई, तो कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है – यह स्पष्ट संकेत किसान नेताओं ने दे दिया है।