गाजियाबाद: ग्राम प्रधान पर तालाब की मिट्टी बेचने का आरोप, जांच के आदेश जारी

Date: 2025-06-13
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रवि कुमार (सं)
गाजियाबाद। थाना वेव सिटी क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पूठी (ब्लॉक रजापुर) के ग्राम प्रधान वीरेंद्र यादव पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने गांव की सरकारी तालाब भूमि से अवैध रूप से मिट्टी खनन कर उसे UPSIDC खिचरा फैक्ट्री क्षेत्र में निजी कंपनियों को बेच दिया। इस मामले को हेल्प एशियन फाउंडेशन संस्था के प्रदेश अध्यक्ष यूसुफ खान द्वारा जिलाधिकारी को प्रेषित एक शिकायती पत्र के माध्यम से उजागर किया गया है।
यूसुफ खान का कहना है कि ग्राम प्रधान द्वारा जेसीबी, पोकलेन, डंपर आदि भारी मशीनों से तालाब की मिट्टी निकालकर उसे निजी लाभ के लिए बेचा जा रहा है, जबकि सरकारी नियमों के अनुसार तालाब की मिट्टी केवल ग्राम विकास कार्यों में ही प्रयुक्त हो सकती है।

शिकायत में बताया गया कि इस प्रकार की खुदाई बिना वैध लाइसेंस और अनुमति के की गई है, जो अवैध खनन की श्रेणी में आता है। इसमें भारतीय दंड संहिता की धाराएं IPC 379 (चोरी), 447 (अवैध प्रवेश), 120B (षड्यंत्र), 188 (सरकारी आदेश की अवहेलना), साथ ही खान एवं खनिज अधिनियम 1957, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 तथा पंचायत राज अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई की मांग की गई है।

उपजिलाधिकारी (सदर) अरुण दीक्षित ने पुष्टि करते हुए कहा कि मिट्टी निकालने की अनुमति केवल ग्राम विकास कार्यों तक सीमित है, न कि वाणिज्यिक उपयोग के लिए। उन्होंने बताया कि तहसीलदार व नायाब तहसीलदार को जांच के निर्देश दिए जा चुके हैं और दोषी पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

खनन अधिकारी व भूगर्भ विभाग सक्रिय:
खनन अधिकारी, गाजियाबाद को भी मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। वहीं, भूगर्भ अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया है और उन्होंने भी जांच का आश्वासन दिया है।

यूसुफ खान का आरोप:
यूसुफ खान ने कहा कि अधिकारियों से मिलीभगत कर ग्राम प्रधान और उनके सहयोगी तालाब की मिट्टी को बड़े पैमाने पर चोरी कर बेच रहे हैं, जिससे न केवल सरकारी संपत्ति का नुकसान हो रहा है, बल्कि जल संरक्षण जैसी महत्वपूर्ण संरचनाएं भी नष्ट हो रही हैं। उन्होंने मांग की कि ग्राम प्रधान को तत्काल निलंबित कर एफआईआर दर्ज की जाए और सभी संलिप्त अधिकारियों की उच्च स्तरीय जांच कर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

यह मामला एक बार फिर यह प्रश्न उठाता है कि कैसे स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से सार्वजनिक संसाधनों का शोषण हो रहा है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस गंभीर प्रकरण में कितनी पारदर्शी और सख्त कार्रवाई करता है।

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