ढबारसी में पंचायत का रास्ता तोड़ा, नाला बनाया — आवाज उठाने वालों पर ही कार्रवाई!

Date: 2025-06-13
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गाजियाबाद। थाना मसूरी क्षेत्र अंतर्गत ग्राम ढबारसी में एक बार फिर प्रशासनिक उदासीनता की तस्वीर सामने आई है। ग्राम पंचायत निधि से बनाए गए सार्वजनिक कच्चे रास्ते को गांव के ही कुछ दबंगों द्वारा अवैध रूप से खुदवाकर नाले में तब्दील कर दिया गया। यह पूरा मामला पंचायत सचिव द्वारा थाना मसूरी में दी गई तहरीर के माध्यम से प्रकाश में आया है।

पंचायत सचिव ने बताया कि यह रास्ता ग्रामवासियों की आवाजाही और सुविधा के लिए पंचायत निधि से निर्माण कराया गया था। लेकिन ग्राम के ही कुछ प्रभावशाली लोगों — बासिद प्रधान पुत्र शुक्कन, मुनफैद पुत्र वुन्याद, सैफ अली व शारुफ पुत्र कामिल, मुकर्रम व मुबारिक पुत्र हाफिज असलम (सभी निवासी ग्राम ढबारसी, गाजियाबाद) — ने इस रास्ते को जबरन खुदवाकर नाले में तब्दील कर दिया। इस घटना का वीडियो प्रमाण भी पुलिस को सौंपा गया है।

सचिव का स्पष्ट आरोप है कि यह न केवल सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला है, बल्कि इसमें पंचायत निधि का दुरुपयोग भी शामिल है। इसके बावजूद, अब तक प्रशासन या पुलिस की ओर से कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे ग्रामीणों में जबरदस्त नाराज़गी है।

प्रशासन पर उठते सवाल
गांव के जागरूक नागरिकों और पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि जब वे गांव के विकास और संसाधनों की रक्षा के लिए खड़े होते हैं, तो उन्हें ही निशाना बनाया जाता है। आवाज उठाने वालों पर ही मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं, जिससे यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब अपने क्षेत्र की रक्षा करना अपराध बन गया है?

डंपिंग ग्राउंड का विरोध और बढ़ती प्रताड़ना
यह अकेला मामला नहीं है। ग्राम ढबारसी, समयपुर आकलपुर, नाहल और निग्रावटी के ग्रामीण पहले से ही जंगल क्षेत्र में नगर निगम द्वारा बनाए जा रहे डंपिंग ग्राउंड का लगातार विरोध कर रहे हैं। प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी आशंकाओं को लेकर गांव में प्रदर्शन हो रहे हैं, और अब उसी आवाज को दबाने के लिए ऐसे मामलों को सामने लाया जा रहा है, ऐसा ग्रामीणों का कहना है।

ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने मांग की है कि दोषियों पर तत्काल सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उन्हें सज़ा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई भी सार्वजनिक संसाधनों से इस तरह खिलवाड़ न कर सके। साथ ही प्रशासन से भी जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपील की गई है।

यह मामला केवल एक रास्ते या नाले का नहीं, बल्कि जनतांत्रिक व्यवस्था और पंचायत स्वराज की बुनियाद पर सवाल बन चुका है।

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